📖 - होशेआ का ग्रन्थ (Hosea)

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अध्याय 12

1) एफ्रईम ने मेरे इर्द-गिर्द झूठों का जाल रचा है और इस्राएली वंश को ठग दिया है; किन्तु यूदा, वह अडियल ट्टटू, ईश्वर को अब तक मानता है और पावनपुंज ईश्वर का भक्त बना रहा है।

2) एफ्राईम हवाई-महल बनाता है; वह दिन भर पुरवाई का शिकार करता है। वह छल के छल एवं नाश के नाश करता जाता है; इधर अस्सूर के साथ सन्धि, उधर मिस्र को तेल का शुल्क।

3) यूदा से भी प्रभु की शिकायत है; वह याकूब को उसके आचरण के अनुसार दण्ड देगा और उसे उसके पापों का फल देगा।

4) अपनी माँ के गर्भ में ही उसने भाई को धोखा दिया और बडे हो कर वह प्रभु से भी लडा था।

5) वह देवदूत से लडा और उसे रोते हुए धोखा दे कर हरा भी गया। ईश्वर से बेतेल में उसकी भेंट हुई और वहाँ ईश्वर ने उस से बात भी की।

6) हाँ, उस विश्वमण्डल के प्रभु से उसने बात की; प्रभु उसका नाम है।

7) इसलिए उसी ईश्वर की कृपा पा कर उसके पास लौट आओ; सत्यनिष्ठ और भक्ति में अटल बने रहो; ईश्वर ही सदैव तुम्हारा भरोसा है।

8) एफ्राईम व्यापारी बन गया है, उसके हाथ में खोटा तराजू है; वह छल-कपट का सौदा करता है।

9) एफ्राईम का दावा यह है, "अरे, मैं कितना धनवान् हो गया हूँ, मैं मालामाल हो गया हूँ"। किन्तु उसकी सारी सम्पत्ति भी उनके किये अपराधों को मिटा नहीं सकती।

10) मिस्र में प्रवास के समय से ही मैं प्रभु तुम्हारा ईश्वर हूँ; दर्शनों के दिन की तरह मैं तुम को फिर तम्बुओं में बसा दूँगा।

11) मैं ही नबियों के माध्यम से बोल चुका हूँ; मैंने नबियों को अनेकानेक दिव्य दर्शन दिये और नबियों के द्वारा दृष्टांत भी सुनाये।

12) क्या गिलआद में मूर्तिपूजा थी? हाँ! निस्सार पूजा- वे गिलगाल में बछडों को बलि चढा रहे थे; जोते हुए खेत के किनारे पत्थरों के ढेरों-जैसी उनकी वेदियाँ तुच्द थीं।

13) याकूब अराम भाग गया, इस्राएल ने पत्नी प्राप्त करने के लिए बेगारी स्वीकार की; वह पत्नी की प्राप्ती के लिए चरवाहा बन गया।

14) एक नबी के द्वारा ही प्रभु-ईश्वर मिस्र से इस्राएल को बाहर निकाल लाया और नबी से ही उसने इस्राएल की रक्षा की।

15) एफ्राईम ने प्रभु-ईश्वर को बहुत अधिक उत्तेजित किया है, अतः वह अपने ही रक्तपात का उत्तरदायी है; प्रभु ही उसकी ईशनिन्दा का प्रतिफल देगा।



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