📖 - योशुआ का ग्रन्थ

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अध्याय 10

1) येरूसालेम के राजा अदोनी-सेदेक ने सुना कि योशुआ ने अय को अधिकृत कर उसका पूर्ण विनाश कर दिया है। उसने जैसा व्यवहार येरीखो ओर उसके राजा के साथ किया वैसा ही अय ओर उसके राजा के साथ भी किया है। उसने यह भी सुना कि गिबओन कि निवासियों ने इस्राएलियों के साथ सन्धि कर ली है और अब वे उनके साथ रहते हैं।

2) यह सुनकर वह बडा भयभीत हुआ क्योंकि गिबओन राजधानी के समान एक बडा नगर था। वह अय से भी बड़ा था और उसके सब पुरुष वीर योध्दा थे।

3) इसलिए येरूसालेम के राजा आदोनी-सेदेक ने हेब्रोन के राजा होहाम, यर्मूत के राजा पिराम, लाकीश के राजा याफीआ और एगलोन के राजा दबीर के पास यह संदेश भेजा कि

4) आप मेरी सहयता के लिए आयें, जिससे हम गिबओन को पराजित करें, क्योंकि उसने योशुआ और इस्राएलियों के साथ संधि कर ली है।

5) इसलिए यह पाँच अमोरी राजा अर्थात येरूसालेम का राजा, हेब्रोन का राजा, यर्मूत का राजा, लाकीश का राजा और एगलोन का राजा मिलकर अपनी सेनाओं के साथ आये और उन्होंने गिबओन को घेर कर उस पर आक्रमण कर दिया।

6) तब गिबओन के निवासियों ने गिलगाल के पास पडाव डाले योशुआ को यह संदेश भेजा, "आप अपने दासों का त्याग न करें! आप हमारी रक्षा और सहायता के लिए जल्द ही हमारे पास आयें, क्योंकि पहाडी प्रांत में रहने वाले सब अमोरी राजा हमारे विरुद्ध एकत्रित हो गये हैं।"

7) तब योशुआ ने गिलगाल से अपनी समस्त सेना और सबसे वीर योध्दाओं के साथ प्रस्थान किया।

8) प्रभु ने योशुआ से कहा, "उन से नहीं डरो। मैं उन्हें तुम्हारे हाथ दे दूँगा। उनमें कोई भी तुम्हारे सामने नहीं टिक पायेगा।"

9) योशुआ उन लेागों पर अचानक टूट पडा क्योंकि उसने गिलगाल से सारी रात यात्रा की थी।

10) प्रभु ने उन्हें इस्राएलियों के सामने से भगा दिया। इस्राएलियों ने उन्हें गिबओन के पास बुरी तरह पराजित किया। इस्राएलियों ने बेत-होरोन के पहाड़ी मार्ग पर, अजे़का और मक्केदा तक उनका पीछा किया।

11) जब वे इसा्रएलियों के सामने से भागते हुए बेत-होरोन की ओर उतर रहे थे तब प्रभु ने अजेका तक उन पर आकाश से ओले के बडे़-बडे़ पत्थरों की वर्षा की और ओलो की वर्षा से मरे हुए लोगों की संख्या इस्राएलियों की तलवार से मारे गये लोगो से अधिक थी।

12) जिस दिन प्रभु ने अमोरियों को इस्राएलियों के हवाले कर दिया उस दिन योशुआ ने इस्राएलियों के सामने प्रभु से यह कहा, "सूर्य! तुम गिबओन के ऊपर ठहरो, चन्द्रमा! तुम अय्यालोन की घाटी पर!"

13) जब तक राष्ट्र अपने शत्रुओं से बदला नहीं लिया तब तक सूर्य ठहरा और चन्द्रमा रूका रहा, जैसा कि याशर के ग्रंथ में लिखा है सूर्य आकाश के मध्य में ठहर गया और लगभग एक पूरे दिन तक अस्त नहीं हुआ।

14) न तो पहले और न कभी बाद ऐसा दिन आया जब प्रभु ने मनुष्य की प्रार्थना इस प्रकार सुनी हो। निश्चिय ही प्रभु इस्राएल के लिए युध्द कर रहा था।

15) इसके बाद योशुआ सब इस्राएलियों के साथ शिविर में लौट आया।

16) पाँचों राजा भाग कर मक्केदा की गुफा में छिप गये थे।

17) योशुआ को यह सूचना मिली की पाँचों राजा मक्केदा की गुफा में छिपे हैं।

18) योशुआ ने कहा, "उस गुफा के मुँह पर बडे़-बड़े पत्थर लगा दो और आदमियों को बुलाकर उन पर पहरा बैठाओ।

19) लेकिन तुम लोग मत रूको, अपने शत्रुओं का पीछा करो, पिछड़ने वालों को मार डालो और शेष योद्धाओं को अपने नगर में पहुँचने नहीं दो। प्रभु तुम्हारे ईश्वर ने उन्हें तुम्हारे हाथ दे दिया है।"

20) योशुआ और इस्राएलियों ने उनको बुरी तरह हराया, किन्तु कुछ योध्दा भाग कर अपने किलाबंद नगरों में पहुँच गये।

21) इस्राएल की समस्त सेना मक्केदा के शिविर में योशुआ के पास सुरक्षित लौट आयी इसके बाद किसी को इस्राएलियों के विरुद्ध कुछ कहने का साहस नहीं हुआ।

22) तब योशुआ ने कहा गुफा का मुँह खोल कर पाँचो राजाओं को उससे निकाल कर मेरे पास ले आओं।

23) उन्होंने ऐसा ही किया। ये पाँचों राजा गुफा से निकाल कर लाये गये। येरूसालेम का राजा, हेब्रोन का राजा, लाकीश का राजा और एगलोन का राजा।

24) जब ये राजा योशुआ के पास लाये गये तब योशुआ ने सब इस्राएलियों को बुलाकर अपने साथ आये सेनापतियों से कहा, "पास आ कर इन राजाओं की गर्दन पर अपने पैर रख दो।" इस पर उन्होंने पास आ कर अपने-अपने पैर उनकी गर्दन पर रख दिये।

25) इसके बाद योशुआ ने उनसे कहा, "न डरो और न घबराओ। दृढ़ बने रहों और ढारस रखों; क्योंकि ऐसा ही व्यवहार प्रभु सब शत्रुओं से करता रहेगा, जिनके साथ तुम्हें लडना होगा।"

26) इसके बाद योशुआ ने उन्हें मरवा दिया और पाँच वृक्षो पर लटका दिया वे शाम तक वृक्षों पर लटके रहे।

27) वे सूर्यास्त के समय योशुआ की आज्ञा से वृक्षों से उतारे गये और उस गुफा में फेंक दिये जिसमें वे छिपे थे। गुफा के मुँह पर बडे़-बडे़ पत्थर रख दिये गये। वे आज तक वहाँ विद्यमान है।

28) उसी दिन योशुआ ने मक्केदा को अपने अधिकार में कर लिया। उसके नगर और उसके राजा को तलवार के घाट उतारा। उसने सब का संहार किया और एक को भी नहीं छोडा। उसने येरीख़ो के राजा के साथ जैसा किया था, मक्केदा के राजा के साथ वैसा ही किया।

29) इसके बाद योशुआ सारे इस्राएल को साथ लेकर मक्केदा से लिबना की ओर बढा और लिबना पर आक्रमण किया।

30) प्रभु ने उसके राजा सहित उसे भी इस्राएलियों के हाथ दे दिया। उसने उसे और उसमें रहने वाले सब प्राणियों को तलवार के घाट उतारा। उसने एक को भी नहीं छोड़ा। जैसा उसने येरीख़ो के राजा के साथ किया था वैसा उसने उसके राजा के साथ किया।

31) इसके बाद योशुआ सारे इस्राएल के साथ लिबना से चलकर लाकीश की ओर बढा। उसने उसे घेरा और उस पर आक्रमण किया।

32) प्रभु ने लाकीश को इस्राएलियों के हाथ दे दिया। योशुआ ने दूसरे दिन उस पर अपना अधिकार कर लिया। उसमें रहने वाले सब प्राणियों को उसी प्रकार तलवार के घाट उतारा जैसा उसने लिबना के साथ किया था।

33) इसी समय गेज़ेर का राजा होराम लाकीश की सहायता आ पहुँचा। परन्तु योशुआ ने उसे भी उसके लोगों सहित इस तरह पराजित किया कि कोई जीवित नहीं रहा।

34) तब योशुआ तथा सारा इस्राएल लाकीश से एगलोन की ओर आगे बढ़ा। उन्होंने उसे घेरा और उस पर आक्रमण किया।

35) उन्होंने उसी दिन उसे अधिकार में किया। उसने नगर, उसके सब प्राणियों को तलवार के घाट उतारा, जैसा उसने लाकीश के साथ किया था।

36) इसके बाद योशुआ और उसके साथ इस्राएलियों ने एगलोन, हेब्रोन की ओर बढकर उस पर आक्रमण किया।

37) उन्होंने उसे अधिकार में कर लिया और उसके राजा उसके सब गाँव और उसके सब प्राणियों को तलवार के घाट उतारा। उसने एक भी जीवित नहीं छोड़ा। उन्होंने उसका और उसके सब निवासियों का संहार किया, जैसा उन्होंने एगलोन में किया था।

38) फिर योष्ुाआ और उसके साथ के सब इस्राएली दबीर की और मुडे़ और उन्होंने उस पर आक्रमण किया।

39) उन्होंने उसके राजा और उसके गाँवों को अधिकार में किया और उन्हें तलवार के घाट उतारा। उन्होंने उसके सब निवासियों का संहार किया। योशुआ ने एक भी जीवित नहीं छोड़ा। जैसा उसने हेब्रोन और लिबना और उसके राजा के साथ किया था, वैसा उसने दबीर और उसके राजा के साथ भी किया।

40) इस प्रकार योशुआ ने पूरा देश अधिकार में कर लिया। पहाड़ी प्रदेश नेगेब, निचला प्रदेश और पहाड की ढलानें, उसने सब राजाओ का वध किया उसने। एक को भी जीवित नहीं छोड़ा। इस्राएल के प्रभु ईश्वर ने जैसी आज्ञा दी थी, उसने वैसा ही सब प्राणियों का संहार किया

41) योशुआ ने कादेश-बरनेअ से गाजा तक और गोसेन से गिबओन तक समस्त देश को पराजित किया।

42) योशुआ ने एक ही अभियान में उन सब राजाओं और उनके देशों को अधिकार में किया क्योंकि प्रभु इस्राएल का ईश्वर इस्राएलियों की ओर से युद्ध करता था।

43) इसके बाद योशुआ सब इस्राएलियों के साथ गिलगाल के शिविर लौट आया।



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