📖 - समूएल का दुसरा ग्रन्थ

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अध्याय 23

1) ये दाऊद के अन्तिम शब्द है: यह यिशय के पुत्र दाऊद की वाणी है; अति प्रतिष्ठित व्यक्ति की, याकूब के ईश्वर के अभिषिक्त की, इस्राएल के मधुर गायक की वाणी है।

2) ईश्वर का आत्मा मेरे द्वारा बोलता है, उसकी वाणी मेरी जिह्वा पर विराजती है।

3) इस्राएल का ईश्वर बोला, इस्राएल की चट्टान ने मुझ से कहा: जो मनुष्यों का न्यायपूर्वक शासन करता है, जो ईश्वर पर श्रद्धा रखते हुए शासन करता है,

4) वह सूर्योदय के समय, मेघविहीन प्रभात में, प्रातःकालीन प्रकाश-जैसा है। वह उदीयमान सूर्य-जैसा है, जो वर्षा के पश्चात् भूमि से घास उगाता है।

5) मेरे वंश को निश्चय ही ईश्वर की कृपादृष्टि प्राप्त है। उसने मेरे लिए एक चिरस्थायी सुव्यवस्थित विधान निर्धारित किया, जिसका निष्ठापूर्वक पालन किया जाता है। वह मुझे सुख-शान्ति देता और मेरे सब मनोरथ पूरा करता है।

6) सभी दुष्ट काँटों की तरह फेंके जाते हैं। कोई उन्हें खुले हाथ से नहीं बटोरता।

7) वे लोहे के हथियार से या भाले के डण्डे से बटोरे जाते और आग में जल कर भस्म हो जाते हैं।

8) दाऊद के वीर योद्धओं के नाम इस प्रकार है:

9) तहकमोन का योशेबबशेबेत, जो कवचधारी सैनिकों का नेता था। उसने एक साथ आठ सौ आदमियों पर अपना भाला चलाया और उन को एक ही भिड़न्त में मार गिराया। उसके बाद अहोही का पौत्र, दोदो का पुत्र एलआज़ार था। वह उन तीन प्रमुख योद्धाओं में एक था, जो दाऊद के साथ थे और युद्ध के लिए एकत्रित फ़िलिस्तियों को ललकारते थे। एस्राएली पीछे हट रहे थे,

10) किन्तु वह डट कर फ़िलिस्तियों को इस प्रकार मारता रहा कि उसका हाथ थक गया और ऐंठ कर तलवार से चिपक गया। उस दिन प्रभु ने महान् विजय दिलायी। लोग उसके पास वापस तो आये, किन्तु केवल मृत व्यक्तियों को लूटने के लिए।

11) इसके बाद हरारवासी आगे का पुत्र शम्मा था। फ़िलिस्ती किसी समय लही में एकत्रित हुए। वहाँ मसूर का एक खेत था। इस्राएली फ़िलिस्तियों के सामने से भागने लगे,

12) लेकिन वह खेत के बीच में खड़ा होकर उसकी रक्षा करता रहा और उसने फ़िलिस्तियों को पराजित किया। प्रभु ने उसे महान् विजय दिलायी।

13) एक बार फ़लस के समय तीस प्रमुख योद्धाओं में तीन अदुल्लाम की गुफा में दाऊद के पास आये। फ़िलिस्तियों का एक दल रफ़ाईम के मैदान में पड़ाव डाले पड़ा था।

14) उस समय दाऊद अपने क़िले में था और फ़िलिस्तियों की एक टोली बेथलेहेम में पड़ी थी।

15) तब दाऊद ने यह इच्छा प्रकट की, "बेथलेहेम के फाटक वाले कुएँ से कौन मेरे लिए पानी लायेगा?"

16) इस पर ये तीनों वीर योद्धा फ़िलिस्तियों के पड़ाव को पार कर बेथलेहेम के फाटक वाले कुएँ से पानी भर कर दाऊद के पास लाये। परन्तु उसने उसे पीना अस्वीकार कर प्रभु के सामने यह कहते हुए उँढ़ेल दिया,

17) "प्रभु न करे कि मैं ऐसा करूँ। क्या मैं इन आदमियों का रक्त पिऊँ, जो अपने प्राण हथेली पर रखकर वहाँ गये?" उसने उसे पीना अस्वीकार किया। ये इन तीनों वीरों के कार्य हैं।

18) सरूया का पुत्र, योआब का भाई अबीशय कवचधारी सैनिकों का नेता था। उसने एक साथ तीन सौ आदमियों पर अपना भाला चलाया और उन्हें मार गिराया। इस प्रकार उसने तीन प्रमुख वीरों की तरह नाम कमाया।

19) वह तीनों से अधिक सम्मानित था और उनका नेता बन गया, परन्तु उन तीनों में सम्मिलित नहीं किया गया।

20) यहोयादा का पुत्र बनाया भी वीर योद्धा था। वह कबसएल का निवासी था और बड़े कारनामे करता था। उसने मोआब के दो वीर योद्धओं को मारा। किसी दिन, जब बर्फ़ पड़ रही थी, उसने एक गड्ढ़े में उतर कर एक सिंह को मारा।

21) उसने एक दैत्याकार मिस्री को मारा था। मिस्री हाथ में एक भाला लिये था, किन्तु बनाया हाथ में गदा लिये उसके पास गया। उसने मिस्री के हाथ से भाला छीन कर उसके ही भाले से उसे मार डाला।

22) ये यहोयादा के पुत्र बनाया के कारनामे हैं। वह भी तीन प्रमुख वीरों की तरह प्रसिद्ध था।

23) वह तीस प्रमुख वीरों में सब से सम्मानित था, किन्तु वह तीन प्रमुख वीरों में सम्मिलित नहीं किया गया। दाऊद ने उसे अपने अंगरक्षकों का प्रधान बनाया।

24) योआब का भाई असाएल भी उन तीसों में एक था। फिर बेथलेहेमवासी दोदो का पुत्र एल्हानान,

25) हरोदा का शम्मा, हरोद का एलीका,

26) पल्टीवंशीय हेलेस, तकोआ-निवासी इक्केश का पुत्र ईरा,

27) अनातोत का अबीएजे़र, हुशाती मबुन्नय,

28) अहोही सलमोन, नटोफ़ा का महरय,

29) नटोफ़ा के बाना का पुत्र हेलेब, बेनयामीन के गिबआ- निवासी रीबय का पुत्र इत्तय,

30) पिरआतोन का बनाया, नहले-गाश का हिद्दय,

31) अरबाती अबी-अल्बोन, बहूरीम का असमावेत,

32) शअलबोन का एलयहबा, याशेन के पुत्र, योनातान,

33) हरारी शम्मा, हरारी शारार का पुत्र अहीआम,

34) माकावंशी अहसबय का पुत्र एलीफ़ेलेट, गिलो के अहीतोफ़ेल का पुत्र एलीआम,

35) करमेल का हेसत्रों, अरब पारय,

36) सोबा के नातान का पुत्र यिगआल, गदी बानी,

37) अम्मोनी सेलेक, बएरोत का नहरय, जो सरूया के पुत्र योआब का शस्त्रवाहक था,

38) यित्री ईरा, यित्री गारेब और

39) हित्ती ऊरीय- कुल सैंतीस।



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