📖 - अय्यूब (योब) का ग्रन्थ

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अध्याय 37

1) यह देख कर मेरा दिल धड़कता और अपने स्थान से उछल पडता है।

2) सुनो, उसकी वाणी के गर्जन को, उसके मुख से निकलने वाली गडगडाहट को,

3) जो समस्त आकाश के नीचे गूँजती है। उसकी बिजली पृथ्वी के सीमांतों तक फैल जाती है।

4) बिजली के बाद उसकी वाणी सुनाई देती है; वह ऊँचे स्वर में गरजती है। जब उसकी वाणी सुनाई पड़ती है, तो वह अपना वज्रपात नहीं रोकता।

5) ईश्वर अपने चमत्कार-घोषित करता है। उसके महान् कार्य हमारी समझ के परे हैं।

6) जब वह बर्फ से भूमि पर गिरने का और बादल से मूसलाधार वर्षा करने का आदेश देता है।

7) तो मनुष्यों के सब काम ठप पड़ जाते हैं और उन्हें ईश्वर के सामर्थ्य का आभास हो जाता है।

8) पशु अपनी-अपनी गुफाओं में छिप जाते और अपनी-अपनी मांदो में पड़े रहते हैं।

9) दक्षिण से बवण्डर आता है और उत्तर से ठण्डी हवा।

10) ईश्वर के श्वास से शीत निकलता, जिससे बड़े जलाश्य जम जाते हैं।

11) तब प्रकाश बादलों से हो कर आता और धूप उन्हें छिन्न-भिन्न कर देता है।

12) बादल ईश्वर के कहने पर समस्त पृथ्वी पर फैल जाते और सर्वत्र उसके आदेश का पालन करते हैं।

13) वे उसकी इच्छा के अनुसार कहीं मनुष्यों को दण्ड देते और कहीं पृथ्वी सींच कर उसका प्रेम प्रकट करते हैं।

14) अय्यूब! कान लगा कर सुनो! ईश्वर के चमत्कारों पर विचार करो।

15) क्या तुम जानते हो कि ईश्वर किस प्रकार बादलों का नियत्रंण करता और उन में से बिजली चमकाता है?

16) क्या तुम जानते हो कि वह किसी प्रकार बादलों को फैलाता है? क्या तुम सर्वज्ञ ईश्वर का एक भी चमत्कार समझते हो?

17) जब दक्षिणी हवा के कारण भूमि तपती है और तुम अपने गरम कपड़ों में पसीना बहाते हो,

18) तो क्या तुमने ईश्वर की सहायता की जिसने ढली धातु के दर्पण की तरह आकाशमण्डल को फैलाया?

19) हमें बताओं कि हम उस से क्या कहें, हम अपने अज्ञान के कारण तुम्हारा पक्ष प्रस्तुत करने में असमर्थ है।

20) क्या मेरी बात उसके पास पहुँचती है? जब कोई मनुष्य बोलता है, तो क्या उसे इसका पता चलता है?

21) जब पवन आकाश के बाद छितराता है, तो कोई सूर्य की प्रखर ज्योति पर आँखें नहीं टिका सकता।

22) उत्तर की ओर से सुनहला प्रकाश प्रकट होता है। ईश्वर विस्मयकारी प्रताप से विभूशित है।

23) सर्वशक्तिमान् सर्वोपरि और अगम्य है, फिर भी वह मूर्तिमान न्याय है और किसी पर अत्याचार नहीं करता।

24) इसलिए सभी मनुष्य उस पर श्रद्धा रखते हैं; किंतु जो लोग अपने की बुद्धिमान समझते, ईश्वर उसका ध्यान नहीं रखता।



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