📖 - अय्यूब (योब) का ग्रन्थ

अध्याय ➤ 01- 02- 03- 04- 05- 06- 07- 08- 09- 10- 11- 12- 13- 14- 15- 16- 17- 18- 19- 20- 21- 22- 23- 24- 25- 26- 27- 28- 29- 30- 31- 32- 33- 34- 35- 36- 37- 38- 39- 40- 41- 42- मुख्य पृष्ठ

अध्याय 39

1) क्या तुम जानते हो कि पहाड़ी बकरिया कब बच्चा देती हैं? क्या तुमने हरिणियों को प्रसव करते देखा?

2) क्या तुमने उनके गर्भकाल के महीनों की गिनती की? क्या तुमने उसके ब्याने का समय निर्धारित किया,

3) जब वे झुक कर अपने बच्चे ब्याती हैं और प्रसव-पीड़ा से मुक्त हो जाती है?

4) उनके बच्चे मोटे होते और जंगल में बढ़ते हैं। वे चले जाते और फिर उनके पास नहीं लौटते।

5) किसने जंगली गधे को स्वच्छन्द विचरने दिया, किसने गोरखर के बंधन खोले?

6) मैं रहने के लिए उसे घास का मैदान दिया, निवास के लिए उसे खारी भूमि प्रदान की है।

7) वह नगरों के कोलाहल की हँसी उड़ाता और हाँकने वाले की आवाज कभी नहीं सुनता।

8) पर्वतमाला उसका चरागाह है, वह हरियाली की खोज में भटकता है।

9) क्या जंगली भैंसा तुम्हरी सेवा करना चाहता है? क्या वह तुम्हारी गोशाला में रात बिताता है?

10) क्या तुम उसे जोत सकते हो? क्या वह तुम्हारे लिए घाटियों में हल खींचेगा?

11) क्या तुम उसकी बड़ी ताकत का भरोसा करते हुए उसे काम में लगाने का साहस कर सकते हो?

12) क्या तुम्हें विश्वास है कि वह तुम्हारा अनाज घर पहुँचा कर तुम्हारे खलिहान पर इकट्ठा करेगा?

13) शुतुरमुर्ग प्रसन्न हो कर अपने पंख फड़फड़ाता है, किंतु वह जाँघिल के पंखों और पिच्छों की बराबरी नहीं कर सकता।

14) जब वह अपने अण्डे सेने के लिए गरम बालू में भूमि पर छोड़ देता,

15) तो वह भूल जाता है कि वे किसी के पैर द्वारा कुचले या किसी जंगली पशु द्वारा रौंदे जा सकते हैं।

16) वह अपने बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार करता, मानों वे उसके अपने न हों। उसे इस बात की कोई चिंता नहीं कि उसका परिश्रम निष्फल जा सकता है;

17) क्योंकि ईश्वर ने उसे मूर्ख बनाया, उसे समझदारी प्रदान नहीं की।

18) किंतु जब वह दौड़ने के लिए अपने पंख फैलाता, तो वह घोडे़ के घुड़सवार को मात कर देता है।

19) क्या तुम घोडे़ को शक्ति देते और उसकी गरदन को अयाल से सुशोभित करते हो?

20) क्या तुम उसे टिड्डी की तरह कुदाते हो? उसकी भारी हिनहिनाहट आतंकित करती है।

21) वह अपनी शक्ति की उमंग में टाप मारता और सेना के आगे-आगे चल कर शत्रु का सामना करने जाता है।

22) वह निर्भीक हो कर डर को तुच्छ समझता और तलवार के सामने पीछे नहीं हटता।

23) जब उसकी बगल पर तरकश खड़खड़ाता है, चमकते भाले और सांग की ध्वनि सुनाई देती है,

24) तो वह उत्तेजित को कर तीर-जैसा निकलता है, रणभेरी सुन कर उससे रहा नहीं जाता।

25) हर तूर्यनाद पर वह हिनहिनता है। दूर से ही उसे लड़ाई की गंध, सेनापतियों की चिल्लाहट और युद्ध की ललकार का पता चलता है।

26) क्या बाज़ तुम्हारे समझाने पर ऊपर उठता और पंख फैला कर दक्षिण की ओर उड़ता है?

27) क्या गरुड़ तुम्हारे कहने पर उड़ान भरता और ऊँचाई पर अपना नीड बनाता हैं?

28) वह पहाड पर रहता और वहाँ रात बिताता है। उसका गढ खडी चट्टान के शिखर पर है।

29) वह वहाँ से अपने शिकार की ताक में रहता और दूर-दूर तक दृष्टि दौड़ता है।

30) गरूढ़ के बच्चे रक्त लप-लप पीते हैं जहाँ कहीं लाशें हैं, वहाँ गरूढ़ भी है।



Copyright © www.jayesu.com