संत एवुप्रासिया का संक्षिप्त जीवन परिचय

17 अक्टूबर 1877 :- जन्म। माता-पिता - कुंजेत्ती एवं एलुवात्तिंकल चेरपुकारन अंतोनी

25 अक्टूबर 1877:- बपतिस्मा- कार्मल की माता चर्च, एडात्तुरूथि, नाम - रोसा

3 जुलाई 1888 :- मठ में जाने की अभिलाषा के साथ कूनम्माव के छात्रावास में।

10 मई 1897 :- धर्मसंघनी का शिरोवस्त्र तथा नया धार्मिक नाम-येसु के पवित्र हृदय की एवुप्रासिया को ग्रहण करना।

10 जनवरी 1898 :- त्रिश्शूर के प्रथम देशी धर्माध्यक्ष मार जॉन मेनाशेरी द्वारा धर्मसंघीय जीवन के वस्त्रधारण करना।

24 मई 1900 :- औल्लूर के मठ की नींव डालना तथा सिस्टर एवप्रसिया द्वारा अंतिम व्रत देना।

1904 - 1913 :- नवशिष्यों की प्रथम आधिकारिक शिक्षिका के रूप में नियुक्ति

29/04/1913-14/04/1916:- संत मेरी मठ, औल्लूर की मठाध्यक्षिका

29 अगस्त 1952 :- मदर एवुप्रासिया की मृत्यु।

1987 :- ईश्वर की सेविका के रूप में घोषणा।

1990 :- कब्र को खोलना

4 दिसम्बर :- थॉमस थरकन की हड्डी के कैंसर से चमत्कारिक चंगाई।

8 जनवरी 1999:- न्यायाधिकरण का गठन।

5 जुलाई 2002:- ’ईश्वर की सेविका’ मदर एवुप्रासिया संत पापा योहन द्वितीय द्वारा ’पूजनीय’ घोषित।

3 दिसम्बर 2006:- संत पापा बेनेडिक्ट सौलहवें की धर्मानुज्ञा के अनुसार प्राधि-धर्माध्यक्ष कार्डिनल मार वर्की विथियातिल द्वारा औल्लूर में मदर एवुप्रासिया ’धन्य’ घोषित।

20 दिसम्बर 2006:- थायरोग्लोसिल सिस्ट से जेवल को चंगाई

3 अप्रैल 2014 :- चमत्कार को आधिकारिक रूप से स्वीकृति देन वाले दस्तावेज पर संत पापा फ्रांसिस द्वारा हस्ताक्षर करना।

23 नवंबर 2014 :- संत पापा फ्रांसिस द्वारा रोम में धन्य एवुप्रासिया को संत घोषित करना।

अनुवादक - फादर रोनाल्ड वॉन
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