📖 - इसायाह का ग्रन्थ (Isaiah)

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अध्याय 55

1) “तुम सब, जो प्यासे हो, पानी के पास चले आओ। यदि तुम्हारे पास रुपया नहीं हो, तो भी आओ। मुफ़्त में अन्न ख़रीद कर खाओ, दाम चुकाये बिना अंगूरी और दूध ख़रीद लो।

2) जो भोजन नहीं है, उसके लिए तुम लोग अपना रुपया क्यों ख़र्च करते हो? जो तृप्ति नहीं दे सकता है, उसके लिए परिश्रम क्यों करते हो? मेरी बात मानो। तब खाने के लिए तुम्हें अच्छी चीज़ें मिलेंगी और तुम लोग पकवान खा कर प्रसन्न रहोगे।

3) कान लगा कर सुनो और मेरे पास आओ। मेरी बात पर ध्यान दो और तुम्हारी आत्मा को जीवन प्राप्त होगा। मैंने दाऊद से दया करते रहने की प्रतिज्ञा की थी। उसके अनुसार मैं तुम लोगों के लिए, एक चिरस्थायी विधान ठहराऊँगा।

4) मैंने राष्ट्रों के साक्य देने के लिए दाऊद को चुना और उसे राष्ट्रों का पथप्रदर्शक तथा अधिपति बना दिया है।

5) “तू उन राष्ट्रों को बुलायेगी, जिन्हें तू नहीं जानती थी और जो तुझे नहीं जानते थे, वे दौड़ते हुए तेरे पास जायेंगे। यह इसलिए होगा कि प्रभु, तेरा ईश्वर, इस्राएल का परमपावन ईश्वर, तुझे महिमान्वित करेगा।

6) “जब तक प्रभु मिल सकता है, तब तक उसके पास चली जा। जब तक वह निकट है, तब तक उसकी दुहाई देती रह।

7) पापी अपना मार्ग छोड़ दे और दुष्ट अपने बुरे विचार त्याग दे। वह प्रभु के पास लौट आये और वह उस पर दया करेगा; क्योंकि हमारा ईश्वर दयासागर है।

8) प्रभु यह कहता है- तुम लोगों के विचार मेरे विचार नहीं हैं और मेरे मार्ग तुम लोगों के मार्ग नहीं हैं।

9) जिस तरह आकाश पृथ्वी के ऊपर बहुत ऊँचा है, उसी तरह मेरे मार्ग तुम्हारे मार्गों से और मेरे विचार तुम्हारे विचारों से ऊँचे हैं।

10) जिस तरह पानी और बर्फ़ आकाश से उतर कर भूमि सींचे बिना, उसे उपजाऊ बनाये और हरियाली से ढके बिना वहाँ नहीं लौटते, जिससे भूमि बीज बोने वाले को बीज और खाने वाले को अनाज दे सके,

11) उसी तरह मेरी वाणी मेरे मुख से निकल कर व्यर्थ ही मेरे पास नहीं लौटती। मैं जो चाहता था, वह उसे कर देती है और मेरा उद्देश्य पूरा करने के बाद ही वह मेरे पास लौट आती है।

12) तुम उल्लास के साथ प्रस्थान करोगे और सकुशल पहुँच जाओगे। पर्वत और पहाड़ियाँ तुम्हारा जयकार करेंगी। वन के सभी वृक्ष तालियाँ बजायेंगे।

13) जहाँ ऊँटकटारे और झाड़-झँखाड़ थे, वहाँ सनोवर और मेंहदी के वृक्ष उगेंगे। यह प्रभु की महिमा का ऐसा स्मारक होगा जिसका अस्तित्व कभी नहीं मिटेगा।“



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