📖 - उत्पत्ति ग्रन्थ

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अध्याय - 11

1) समस्त पृथ्वी पर एक ही भाषा और एक ही बोली थी।

2) पूर्व में यात्रा करते समय लोग शिनआर देश के एक मैदान में पहुँचे और वहाँ बस गये।

3) उन्होंने एक दूसरे से कहा, ''आओ! हम ईटें बना कर आग में पकायें''। - वे पत्थर के लिए ईट और गारे के लिए डामर काम में लाते थे। -

4) फिर वे बोले, ''आओ! हम अपने लिए एक शहर बना लें और एक ऐसी मीनार, जिसका शिखर स्वर्ग तक पहुँचे। हम अपने लिए नाम कमा लें, जिससे हम सारी पृथ्वी पर बिखर न जायें।''

5) तब ईश्वर उतर कर वह शहर और वह मीनार देखने आया, जिन्हें मनुष्य बना रहे थे,

6) और उसने कहा, ''वे सब एक ही राष्ट्र हैं और एक ही भाषा बोलते हैं। यह तो उनके कार्यों का आरम्भ-मात्र है। आगे चल कर वे जो कुछ भी करना चाहेंगे, वह उनके लिए असम्भव नहीं होगा।

7) इसलिए हम उतर कर उनकी भाषा में ऐसी उलझन पैदा करें कि वे एक दूसरे को न समझ पायें।''

8) इस प्रकार ईश्वर ने उन्हें वहाँ से सारी पृथ्वी पर बिखेरा और उन्होंने अपने शहर का निर्माण अधूरा छोड़ दिया।

9) उस शहर का नाम बाबेल रखा गया, क्योंकि ईश्वर ने वहाँ पृथ्वी भर की भाषा में उलझन पैदा की और वहाँ से मनुष्यों को सारी पृथ्वी पर बिखेर दिया।

10) सेम की वंशावली इस प्रकार है : सेम एक सौ वर्ष का था, जब उसे जलप्रलय के दो वर्ष बाद अरफक्षद नामक एक पुत्र हुआ।

11) अरफक्षद के जन्म के बाद सेम पाँच सौ वर्ष और जीता - रहा तथा उसे और पुत्र तथा पुत्रियाँ हुईं।

12) अरफक्षद पैंतीस वर्ष का था, जब उसे शेलह नामक एक पुत्र हुआ।

13) शेलह के जन्म के बाद अरफक्षद चार सौ तीन वर्ष और जीता रहा तथा उसे और पुत्र तथा पुत्रियाँ हुईं।

14) शेलह तीस वर्ष का था, जब उसे एबेर नामक एक पुत्र हुआ।

15) एबेर के जन्म के बाद शेलह चार सौ तीन वर्ष और जीता रहा तथा उसे और पुत्र तथा पुत्रियाँ हुईं।

16) एबेर चौंतीस वर्ष का था, जब उसे पेलेग नामक एक पुत्र हुआ।

17) पेलेग के जन्म के बाद एबेर चार सौ तीस वर्ष और जीता रहा तथा उसे और पुत्र तथा पुत्रियाँ हुईं।

18) पेलेग तीस वर्ष का था, जब उसे रऊ नामक एक पुत्र हुआ।

19) रऊ के जन्म के बाद पेलेग दो सौ नौ वर्ष और जीता रहा तथा उसे और पुत्र तथा पुत्रियाँ हुईं।

20) रऊ बत्तीस वर्ष का था, जब उसे सरूग नामक एक पुत्र हुआ।

21) सरूग के जन्म के बाद रऊ दो सौ सात वर्ष और जीता रहा तथा उसे और पुत्र तथा पुत्रियाँ हुईं।

22) सरूग तीस वर्ष का था, जब उसे नाहोर नामक एक पुत्र हुआ।

23) नाहोर के जन्म के बाद सरूग दो सौ वर्ष और जीता रहा तथा उसे और पुत्र तथा पुत्रियाँ हुईं।

24) नाहोर उनतीस वर्ष का था, जब उसे तेरह नामक एक पुत्र हुआ।

25) तेरह के जन्म के बाद नाहोर एक सौ उन्नीस वर्ष और जीता रहा तथा उसे और पुत्र तथा पुत्रियाँ हुईं।

26) तेरह सत्तर वर्ष का था, जब उसे अब्राम, नाहोर और हारान नामक पुत्र हुए।

27) तेरह की वंशावली इस प्रकार है : तेरह के अब्राम, नाहोर और हारान नामक पुत्र हुए। हारान को लोट नामक पुत्र हुआ।

28) अपने पिता तेरह के जीवनकाल में खल्दैया देश के ऊर नगर में, जो उसकी जन्मभूमि थी, हारान की मृत्यु हुई।

29) अब्राम और नाहोर ने विवाह किया। अब्राम की पत्नी का नाम सारय और नाहोर की पत्नी का नाम मिल्का था। मिल्का हारान की पुत्री थी। हारान मिल्का और यिस्का, दोनों का पिता था।

30) सारय बाँझ थी, उसके कोई सन्तति नहीं थी।

31) तेरह अपने पुत्र अब्राम, हारान के पुत्र अपने पौत्र लोट और अपनी बहू सारय को, जो उसके पुत्र अब्राम की पत्नी थी, सब को साथ ले कर और खल्दैया देश का ऊर नगर छोड़ कर कनान देश के लिए रवाना हुआ। किन्तु हारान पहुँच कर वे वहीं रहने लगे।

32) तेरह दो सौ पाँच वर्ष का था, जब हारान में उसकी मृत्यु हुई।



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