📖 - उत्पत्ति ग्रन्थ

अध्याय ➤ 01- 02- 03- 04- 05- 06- 07- 08- 09- 10- 11- 12- 13- 14- 15- 16- 17- 18- 19- 20- 21- 22- 23- 24- 25- 26- 27- 28- 29- 30- 31- 32- 33- 34- 35- 36- 37- 38- 39- 40- 41- 42- 43- 44- 45- 46- 47- 48- 49- 50- मुख्य पृष्ठ

अध्याय - 23

1) सारा एक सौ सत्ताईस वर्ष की उमर तक जीती रही

2) और कानान के किर्यत-अरबा, अर्थात् हेब्रोन में उसका देहान्त हो गया। इब्राहीम ने उसके लिए मातम मनाया और विलाप किया।

3) इसके बाद वह उठ खड़ा हुआ और मृतक को छोड़ कर हित्तियों से बोला,

4) ''मैं आपके यहाँ परदेशी और प्रवासी हूँ। मुझे मक़बरे के लिए थोड़ी-सी जमीन दीजिए, जिससे मैं उचित रीति से अपनी मृत पत्नी को दफ़ना सकूँ।''

5) हित्तियों ने इब्राहीम को उत्तर दिया,

6) ''महोदय! हमारी बात सुनिए। आप हमारे बीच एक शक्तिसम्पन्न व्यक्ति हैं। अपनी मृत पत्नी को हमारे सर्वोत्तम समाधि-स्थान में दफनाइए। आप हम में से किसी के भी समाधि-स्थान में उसका दफ़न करेंगे, तो वह आप को नहीं रोकेगा।''

7) इब्राहीम ने उठ कर देश के निवासियों हित्तियों को प्रणाम किया और

8) उन से कहा, ''यदि आप लोग मुझे अनुमति देना चाहते हैं कि मैं यहाँ अपनी मृत पत्नी को दफ़नाऊँ, तो मेरी बात मानिए और सोहर के पुत्र एफ्रोन से मेरे लिए यह निवेदन कीजिए कि

9) वह मकपेला की गुफा मुझे दे दे। वह उसकी है और उसके खेत के किनारे है। वह पूरा-पूरा दाम ले कर आपके सामने ही उसे मुझे दे दे, जिससे मैं उसे समाधि-स्थान बना लूँ।''

10) एफ्रोन भी हित्तियों के बीच में बैठा था। इस पर हित्ती एफ्रोन ने उन सब हित्तियों के सामने, जो नगर के दरवाजे के पास इकट्ठे थे, इब्राहीम को इस प्रकार उत्तर दिया,

11) ''महोदय! ऐसा नहीं। आप मेरी बात मानिए। मैं वह भूमि और वह गुफा भी, जो उस पर है, आप को दान देता हूँ। मैं अपनी जाति वालों के सामने आप को अपनी भूमि देता हूँ। आप अपनी मृत पत्नी का दफ़न कीजिए।''

12) तब इब्राहीम ने देश के निवासियों को प्रणाम किया

13) और देश के लोगों के सामने एफ्रोन से कहा, ''मेरी बात मानिए। मैं खेत का दाम चुकाऊँगा। उसे मुझ से स्वीकार कीजिए, जिससे मैं अपनी मृत पत्नी को वहाँ दफ़नाऊँ।''

14) एफ्रोन ने इब्राहीम को उत्तर दिया,

15) ''महोदय, मेरी बात सुनिए। वह भूमि तो चार सौ चाँदी के शेकेल की है, लेकिन मेरे और आपके बीच इसका क्या महत्व? अपनी मृत पत्नी का दफ़न कीजिए।''

16) इस पर इब्राहीम ने एफ्रोन की बात स्वीकार कर ली। फिर चाँदी तोल कर इब्राहीम ने एफ्रोन को खेत का वह दाम दिया, जो उसने हित्तियों को सुना कर कहा था, अर्थात् बाजार में प्रचलित तौल के अनुसार चार सौ चाँदी के शेकेल।

17) (१७-१८) इस प्रकार नगर में फाटक पर एकत्र सब हित्तियों के सामने कमपेला में स्थित एफ्रोन की भूमि, जो मामरे के पूर्व में है और उस भूमि-सहित उस पर स्थित गुुफा तथा भूमि पर के और उसके आसपास के सब वृक्ष-इस सारी भूमि का अधिकार इब्राहीम को मिल गया।

19) इसके बाद इब्राहीम ने कनान देश के मामरे, अर्थात् हेब्रोन के पूर्व में, मकपेला के खेत की उस गुफा में अपनी पत्नी सारा को दफ़नाया।

20) इस प्रकार उसके निजी समाधि-स्थान होने के निमित्त वह भूमि और उस पर स्थित वह गुफा हित्तियों के अधिकार से निकल कर इब्राहीम के हाथ आ गयी।



Copyright © www.jayesu.com