📖 - पहला इतिहास ग्रन्थ

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अध्याय 21

1) शैतान इस्राएलियों के विरुद्ध खड़ा हुआ और उसने दाऊद को उभाड़ा कि वह इस्राएलियों की जनगणना करे।

2) इसलिए दाऊद ने योआब और सेना के अध्यक्षों से कहा, "तुम जा कर बएर-षेबा से दान तक के इस्राएलियों की जनगणना करो और मुझे इसका विवरण दो, जिससे मैं लोगों की संख्या जान सकूँ।"

3 ‘इस पर योआब ने कहा, "प्रभु अपने लोगों की सौ गुनी वृद्धि करे! मेरे स्वामी राजा! क्या ये सभी मेरे स्वामी के सेवक नहीं हैं? मेरे स्वामी ऐसा कार्य क्यां करना चाहते हैं? हम इस्राएल को दोष का भागी क्यों बनायें?"

4) किन्तु योआब को राजाज्ञा माननी पड़ी। योआब गया और समस्त इस्राएल का परिभ्रमण कर येरूसालेम लौट आया।

5) योआब ने दाऊद को जनगणना का परिणाम बताया। सारे इस्राएल में तलवार चलाने योग्य ग्यारह लाख योद्धा थे और यूदा में चार लाख सत्तर हजार।

6) योआब ने लेवी और बेनयामीन की जनगणना नहीं की, क्योंकि राजा की आज्ञा योआब की दृष्टि में घृणित थी।

7) यह आज्ञा ईश्वर की दृष्टि में भी बुरी थी और उसने इस्राएल को दण्ड दिया।

8) दाऊद ने ईश्वर से कहा, "मैंने जनगणना करा कर घोर पाप किया है। अब मेरी प्रार्थना सुन और अपने दास का अपराध क्षमा कर; क्योंकि मैंने बड़ी मूर्खता का काम किया है।"

9) प्रभु ने दाऊद के दृष्टा गाद से यह कहा,

10) "दाऊद के पास जा कर यह कहो-प्रभु यह कहता हैः मैं तीन बातें तुम्हारे सामने रखता हूँ। उन में एक को चुनो; मैं उसी के द्वारा तुम को दण्डित करूँगा।"

11) गाद ने दाऊद के पास आकर उसे से कहा, "प्रभु कहता है: तुम चुनो-

12) या तो तीन वर्ष तक अकाल, या अपने विरोधियों की तलवार का प्रहार सहते हुए तीन महीनों तक अपने शत्रुओं से पराजय अथवा तीन दिनों तक प्रभु की तलवार और देश में महामारी का प्रकोप, अर्थात् प्रभु के दूत द्वारा इस्राएल के सब प्रान्तों का उजाड़। अच्छी तरह विचार कर बताओ कि मैं उस को क्या उत्तर दूँ, जिसने मुझे भेजा है।"

13) दाऊद ने गाद को उत्तर दिया, "मैं बड़े असमंजस में हूँ। मैं प्रभु के हाथों पड़ जाऊँ; क्योंकि उसकी दया बहुत बड़ी है, किन्तु मैं मनुष्यों के हाथों न पडूँ।"

14) इसलिए प्रभु ने इस्राएल में महामारी भेजी। इस्राएल के सत्तर हज़ार लोग मारे गये।

15) ईश्वर ने येरूसालेम के विनाश के लिए एक दूत भेजा। जब वह उसे नष्ट कर रहा था, तो प्रभु को विपत्ति देख कर दुःख हुआ और उसने लोगों का संहार करने वाले दूत से कहा, "बहुत हुआ। अपना हाथ रोको।" प्रभु का दूत उस समय यबूसी ओरनाम के खलिहान के पास आ गया था।

16) दाऊद ने अपनी आँखें उस आकाश और पृथ्वी के बीच प्रभु के दूत को खड़ा देखा। उसे हाथ में एक नंगी तलवार थी, जो येरूसालेम के ऊपर उठी हुई थी। दाऊद और नेता, टाट पहने मुँह के बल गिर पडे़।

17) दाऊद ने ईश्वर से कहा, "क्या मैंने ही जनगणना का आदेश नहीं दिया? मैंने ही पाप किया है। मैंने ही अपराध किया। इन भेड़ों ने क्या किया है? मेरे प्रभु-ईश्वर! तेरा हाथ मुझे और मेरे परिवार को दण्डित करे, परन्तु वह महामारी तेरी प्रजा का विनाश नहीं करे।’

18) तब प्रभु के दूत ने गाद को आदेश दिया कि वह दाऊद के पास जा कर उस से कहे, "पहाड़ी पर चढ़ कर यबूसी ओरनान के खलिहान में प्रभु के लिए एक वेदी बनवाओ"।

19) गाद की यह आज्ञा पा कर, जो उसने प्रभु के नाम पर दी थी, दाऊद वहाँ गया।

20) ओरनान गेहूँ की दँवनी कर रहा था। उसने मुड़ कर दूत को देखा और वह अपने चारों पुत्रों के साथ छिप गया।

21) दाऊद ओरनान के पास गया। जब ओरनान ने आँखें उठायीं और दाऊद को आते देखा, तो उसने खलिहान के बाहर आ कर भूमि तक सिर झुका कर दाऊद को प्रणाम किया।

22) दाऊद ने ओरनान से कहा, "इस खलिहान की ज़मीन मुझे दे दो, जिससे मैं यहाँ प्रभु के लिए वेदी बनवाऊँ। इसका पूरा दाम ले कर इसे मुझे दे दो, जिससे महामारी प्रजा से टल जाये।"

23) ओरनान ने दाऊद से कहा, "ले लीजिए। मेरे स्वामी और राजा जो ठीक समझें, करें। मैं होम-बलियों के लिए बैल, ईन्धन के लिए दँवरी का सामान और चढ़ावे के लिए गेहूँ देता हूँ। मैं सब कुछ देता हूँ।"

24) लेकिन राजा दाऊद ने ओरनान से कहा, "नहीं, मैं तो पूरा-पूरा रूपया दे कर ही इसे तुम से मोल लूँगा। मैं बिना दाम दिये तुम से कुछ नहीं लूँगा। मैं मुफ़्त में प्राप्त होम-बलि प्रभु को नहीं चढ़ाना चाहता।"

25) तब दाऊद ने उस स्थान के लिए ओरनान को सोने के छः सौ शेकेल दिये।

26) दाऊद ने वहाँ प्रभु के लिए वेदी बनवायी और होम बलियाँ और शान्ति-बलियाँ चढ़ायीं। उसने प्रभु से प्रार्थना की और प्रभु ने होम-बलि की वेदी पर आग भेज कर उत्तर दिया।

27) इसके बाद प्रभु ने दूत को आज्ञा दी और उसने अपनी तलवार म्यान में रख ली।

28) दाऊद ने उस समय देखा कि प्रभु ने यबूसी ओरनान के खलिहान में उसकी प्रार्थना स्वीकार कर ली है; इसलिए उसने वहाँ बलियाँ चढ़ायीं।

29) प्रभु का निवास, जो मूसा ने उजाड़खण्ड में तैयार करवाया था और होम-बलि की वेदी, दोनों उस समय गिबओन की पहाड़ी पर थे,

30) परन्तु ईश्वर से पूछने दाऊद वहाँ नहीं जा सकता था; क्योंकि वह प्रभु के दूत की तलवार से डर गया था।



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