📖 - दुसरा इतिहास ग्रन्थ

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अध्याय 14

1) आसा ने वही किया, जो प्रभु, उसके ईश्वर की दृष्टि में अच्छा और उचित था।

2) उसने परायी वेदियों और पहाड़ी पूजा-स्थान हटा दिये, पूजा-स्तम्भ चूर-चूर कर दिये, अशेरा-देवी के खूँटे काट डाले

3) और यूदा को आशा दी कि वे प्रभु, अपने पूर्वजों के ईश्वर की ओर अभिमुख हों और संहिता तथा आज्ञाओं का पालन करें।

4) उसने यूदा के सब नगरों से पहाड़ी पूजास्थान हटा दिये और धूप की वेदियाँ भी। उसके शासनकाल में राज्य भर में शान्ति रही।

5) उसने यूदा में क़िलाबन्द नगर बनवाये, क्योंकि देश में शान्ति थी। उन दिनों उसके विरुद्ध कोई युद्ध नहीं हुआ। प्रभु ने उसे शान्ति प्रदान की।

6) उसने यूदा से कहा, "हम इन नगरों का पुनर्निर्माण करें। इन्हें दीवारों, बुर्जों, फाटकों और अर्गलाओं से सुसज्जित करें। अब देश हमारा है, क्योंकि हम प्रभु, अपने ईश्वर की खोज में लगे रहे और उसने हमारे चारों ओर शान्ति बनाये रखी।" अतः वे निर्माण करने लगे और उन्हें सफ़लता मिली।

7) आसा की यूदा वाली सेना में तीन लाख सैनिक थे, जो ढालों और बर्छो से सुसज्जित थे और उसकी बेनयामीन वाली सेना में दो लाख अस्सी हज़ार धनुर्धारी सैनिक थे, जो छोटी ढालों से सुसज्जित थे। वे सभी वीर योद्धा थे।

8) कूष के जे़रह ने दस लाख की एक सेना और तीन सौ रथ ले कर उन पर आक्रमण किया। वह मारेषा तक आ गया।

9) तब आसा उसका सामना करने के लिए निकला और मारेषा के पास सापता-घाटी में व्यूह रचना की।

10) आसा ने प्रभु, अपने ईश्वर की दुहाई देते हुए कहा, "प्रभु यदि एक बलशाली और एक बलहीन के बीच युद्ध होता, तो तेरे सिवा कोई सहायता नहीं कर सकता। प्रभु! हमारे ईश्वर हमारी सहायता कर, क्योंकि हम तुझ पर भरोसा रखते हैं। हम तेरा नाम लेकर इस विशाल जन समूह का सामना कर रहा हैं। प्रभु ! तू हीम हमारा ईश्वर है। तुझ पर कोई मनुष्य विजयी न हो।"

11) प्रभु ने आसा और यूदा के सामने कूशियों को पराजित किया और उन्हें भागना पड़ा।

12) आसा ने अपने सैनिकों के साथ गरार तक उनका पीछा किया। कूषी इस प्रकार मारे गये कि उन में एक भी जीवित नहीं बचा। वे प्रभु और उसकी सेना द्वारा रौंदे गये। आसा के सैनिकों को लूट का बहुत माल मिला।

13) उन्होंने गरार के आसपास के सब नगरों का विनाश किया, क्योंकि उन पर प्रभु का आतंक छा गया था। उन्होंने उन सब को लूट लिया था, क्योंकि उन नगरों में लूट का बहुत-सा माल था।

14) वे पशुपालन करने वालों के तम्बू उखाड़ कर असंख्य भेड़-बकरी और ऊँट लूट कर ले गये।



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