📖 - यिरमियाह का ग्रन्थ (Jeremiah)

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अध्याय 01

1) ये शब्द यिरमियाह के हैं, जो बेनयामीन प्रान्त के अनात¨त में निवास करने वाले याजक हिलकीया का पुत्र है।

2) आमोन के पुत्र, यूदा के राजा योशीया के शासनकाल के तेरहवें वर्ष यिरमियाह को प्रभु की वाणी सुनाई पड़ी।

3) फिर योशीया के पुत्र, यूदा के राजा यहोयाकीम के शासनकाल से ले कर योशीया के पुत्र, यूदा के राजा सिदकीया के शासनकाल के ग्यारहवें वर्ष के अन्त तक। इसी वर्ष के पाँचवें महीने में येरूसालेम के निवासियों को निर्वासित किया गया।

4) प्रभु की वाणी मुझे यह कहते हुए सुनाई पड़ी-

5) “माता के गर्भ में तुम को रचने से पहले ही, मैंने तुम को जान लिया। तुम्हारे जन्म से पहले ही, मैंने तुम को पवित्र किया। मैंने तुम को राष्ट्रों का नबी नियुक्त किया।“

6) मैंने कहा, “आह, प्रभु-ईश्वर! मुझे बोलना नहीं आता। मैं तो बच्चा हूँ।“

7) परन्तु प्रभु ने उत्तर दिया, “यह न कहो- मैं तो बच्चा हूँ। मैं जिन लोगों के पास तुम्हें भेजूँगा, तुम उनके पास जाओगे और जो कुछ तुम्हें बताउँगा, तुम वही कहोगे।

8) उन लोगों से मत डरो। मैं तुम्हारे साथ हूँ। मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा। यह प्रभु की वाणी है।“

9) तब प्रभु ने हाथ बढ़ा कर मेरा मुख स्पर्श किया और मुझ से यह कहा, “मैं तुम्हारे मुख में अपने शब्द रख देता हूँ।

10) देखो! उखाड़ने और गिराने, नष्ट करने और ढा देने, निर्माण करने और रोपने के लिए मैं आज तुम्हें राष्ट्रों तथा राज्यों पर अधिकार देता हूँ।“

11) प्रभु की वाणी मुझे सुनाई पड़ीः "यिरमियाह! तुम क्या देख रहे हो?“ मैंने उत्तर दिया, “मुझे बादाम की डाली दिखाई दे रही है।“

12) प्रभु ने मुझ से कहा, “तुम ने ठीक ही देखा है। मैं अपनी वाणी पूरी करने का ध्यान रखता हूँ।“

13) प्रभु की वाणी मुझे फिर सुनाई पड़ीः “तुम क्या देख रहे हो?“ मैंने कहा, “मुझे एक उबलती हुई केतली दिखाई दे रही है; उसका मुँह उत्तर की ओर है।“

14) प्रभु ने मुझ से कहा, “उत्तर की ओर से देश के सब निवासियों पर विपत्तियाँ आयेंगी।

15) मैं उत्तर के राज्यों के सब कुलों को बुला रहा हूँ।“ यह प्रभु की वाणी है। “वे येरूसालेम के फाटकों के पास, उसकी चारदीवारी के सामने और यूदा के सब नगरों के सामने अपने सिंहासन स्थापित करेंगे।

16) तब मैं उनके कुकर्मों के कारण उनका न्याय करूँगा, क्योंकि उन्होंने मेरा परित्याग किया, पराये देवताओं को धूप चढ़ायी और अपने हाथ की कृतियों की आराधना की।

17) अब तुम कमर कस कर तैयार हो जाओ और मैं तुम्हें जो कुछ बताऊँ, वह सब सुना दो। तुम उनके सामने भयभीत मत हो, नहीं तो मैं तुम को उनके सामने भयभीत बना दूँगा।

18) देखो! इस सारे देश के सामने, यूदा के राजाओं, इसके अमीरों, इसके याजकों और इसके सब निवासियों के सामने, मैं आज तुम को एक सुदृढ़ नगर के सदृश, लोहे के खम्भे और काँसे की दीवार की तरह खड़ा करता हूँ।

19) वे तुम्हारे विरुद्ध लडेंगे, किन्तु तुम को हराने में असमर्थ होंगे; क्योंकि मैं तुम्हारी रक्षा करने के लिए तुम्हारे साथ रहूँगा।“ यह प्रभु की वाणी है।



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