📖 - प्रवक्ता-ग्रन्थ (Ecclesiasticus)

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अध्याय 26

1) साध्वी स्त्री का पति धन्य है! उसकी आयु दुगुनी हो जाती है।

2) सुयोग्य पत्नी अपने पति को आनन्दित करती है, वह अपने जीवन का पूरा समय शान्ति में बिताता है।

3) साध्वी पत्नी ईश्वर का वरदान है, वह ईश्वर-भक्तों को ही प्राप्त होती है।

4) वे धनी हों या दरिद्र, किन्तु दोनों संतुष्ट हैं और उनके चेहरे पर मुस्कान बनी रहती है।

5) मेरा हृदय तीन बातों से काँप जाता है और मैं चैथी से डरता हूँ:

6) नगर में बदनामी, उत्तेजित भीड़

7) और झूठा दोषारोपण- ये सब मृत्यु से भी बदतर हैं ;

8 )8-9) किन्तु जो पत्नी अपनी सौत से ईर्ष्या करती और अपनी कटु बातचीत से झगड़ा पैदा करती, वह मनोव्यथा और विपत्ति का करण है।

10) दुष्ट पत्नी ढीले जूए की तरह दुःखदायी है। जो उस पर नियन्त्रण रखना चाहता, वह मानो हाथ से बिच्छू उठाता है।

11) मदिरा पीने वाली पत्नी घृणा उत्पन्न करती है, वह अपना कलंक नहीं छिपा सकेगी।

12) निर्लज्ज आँखों और कनखियों से व्यभिचारिणी पत्नी पहचानी जा सकती है।

13) चंचल पत्नी पर सख्त निगरानी रखो। वह अवसर पाते ही उस से लाभ उठाती है।

14) उसकी निर्लज्ज आँखों से सावधान रहो। जब वह तुम्हारे साथ विश्वासघात करे, तो आश्चर्य मत करो।

15) वह प्यासे यात्री की तरह मुँह खोल कर अपने पड़ोस का हर पानी पीती है। वह तम्बू की हर खूँटी के सामने बैठती और वाण निकालने के लिए अपना तरकष खोलती है।

16) पत्नी का लावण्य पति को मोहित करता है।

17) उसकी कार्यकुशलता उसे सुस्वस्थ बनाती है।

18) कम बोलने वाली पत्नी ईश्वर का वरदान है। सुशिक्षित पत्नी अमूल्य है।

19) शालीन पत्नी का लावण्य असीम है।

20) जो साध्वी है, उसका मूल्य अपार है।

21) सुव्यवस्थित घर में साध्वी का सौन्दर्य ईश्वर के पर्वत पर उदीयमान सूर्य के सदृश है।

22) उसके सुस्वस्थ शरीर पर उसके मुख का सौन्दर्य पवित्र दीपवृक्ष पर चमकते हुए दीपक की तरह शोभायमान है।

23) उसकी सुदृढ़ एड़ियों पर उसके सुन्दर पैर चाँदी की पीठिका पर स्वर्ण खम्भों की तरह शोभायमान है।

24) साध्वी पत्नी के हृदय में ईश्वर की आज्ञाएँ सुदृढ़ आधार पर शाश्वत नींव की तरह संस्थापित है।

25) दो बातें मेरा दिल दुखाती हैं और तीसरी मुझ में क्रोध उत्पन्न करती है:

26) सैनिक, जो दरिद्र बनता है, समझदार व्यक्ति, जिसका तिरस्कार किया जाता है

27) और सद्धर्मी, जो पाप की ओर झुकता है; प्रभु उसे तलवार का शिकार बनने देगा।

28) व्यापारी शायद ही अपराध से बच सकेगा और दुकानदार पाप से मुक्त नहीं रहेगा।



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