📖 - प्रवक्ता-ग्रन्थ (Ecclesiasticus)

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अध्याय 44

1) हम पीढ़ियों के क्रमानुसार अपने लब्ध प्रतिष्ठ पूर्वजों का गुणगान करें।

2) प्रभु ने उन्हें प्रचुर यश प्रदान किया; उसकी महिमा अनन्त काल से विद्यमान है।

3) वे अपने राज्यों के महान् शासक थे, अपनी तेजस्विता के लिए प्रसिद्ध थे: अपनी बुद्धि के कारण परामर्शदाता, अपनी दैवी दृष्टि के कारण भविष्यवक्ता,

4) अपने विवेक के कारण प्रजा के शासक, अपनी बुद्धि के कारण नेता और अपनी ज्ञानपूर्ण बातों के कारण शिक्षक।

5) वे श्रुतिमधुर गीतों और काव्यात्मक कलाओें के रचयिता थे।

6) वे शक्तिसम्पन्न प्रभावशाली व्यक्ति थे, जो अपने घरों में शान्तिपूर्ण जीवन बिताते थे।

7) वे सब अपनी पीढ़ियों में महिमान्वित और अपने जीवनकाल में प्रसिद्ध थे।

8) उन में कुछ लोग अपना नाम छोड़ गये, जिससे जनता अब तक उनका गुणगान करती है।

9) कुछ लोगों की स्मृति शेष नहीं रही। वे इस प्रकार लुप्त हो गये हैं, मानो कभी थे ही नहीं। वे इस प्रकार चले गये हैं, मानो उनका कभी जन्म नहीं हुआ और उनकी सन्तति की भी यही दशा है।

10) जिन लोगों के उपकार नहीं भुलाये गये हैं, उनके नाम यहाँ दिये जायेंगे।

11) उन्होनें जो सम्पत्ति छोड़ी है, वह उनके वंशजों में निहित है।

12) उनके वंशज आज्ञाओें का पालन करते हैं

13) और उनके कारण उनकी सन्तति भी। उनका वंश सदा बना रहेगा और उनकी कीर्ति कभी नहीं मिटेगी।

14) उनके शरीर शान्ति में दफनाये गये और उनके नाम पीढ़ी-दर-पीढ़ी बने रहेंगे।

15) लोग उनकी प्रज्ञा की प्रशंसा करेंगे। सभाओें में उनका गुणगान किया जायेगा।

16) हनोक प्रभु को प्रिय थे और वह सशरीर उठा लिये गये। वह पीढ़ियों के लिए प्रज्ञा का आदर्श है।

17) नूह को निर्दोष पाया गया। प्रकोप के दिन वह मानवजाति का नाम प्रारम्भ बने।

18) प्रलय के समय उनके माध्यम से पृथ्वी पर मानवजाति का अवशेष कायम रहा।

19) उनके लिए वह विधान ठहराया गया कि कोई भी वाणी जलप्रलय से फिर नष्ट नहीं होगा।

20) इब्राहीम अनेक राष्ट्रों के महान् मूलपुरुष हैं। उनके सुयश पर कोई कलंक नहीं लगा। उन्होंने सर्वोच्च प्रभु की संहिता का पालन किया और प्रभु ने उनके लिए एक विधान निर्धारित किया।

21) उन्होंने अपने शरीर में विधान का चिह्न अंकित किया और वह परीक्षा में खरे उतरे।

22) इसलिए प्रभु ने शपथ खा कर प्रतिज्ञा की कि उनके वंशजों द्वारा राष्ट्र आशीर्वाद प्राप्त करेंगे, कि वे पृथ्वी की धूल की तरह असंख्य होंगे,

23) उन्हें तारों की तरह ऊपर उठाया जायेगा और उन्हें ऐसी विरासत प्राप्त होगी, जो एक समुद्र से दूसरे समुद्र तक और फरात नदी से पृथ्वी के सीमान्तों तक फैल जायेगी।

24) प्रभु ने इब्राहीम के कारण उनके पुत्र इसहाक से वही प्रतिज्ञा की।

25) उसने उन को मानवजाति का कल्याण और याकूब को विधान सौंपा।

26) उसने उन्हें प्रचुर आशीर्वाद दिया और उन्हें विरासत प्रदान की, जिससे वह उसे बारह वंशों में बाँट दें।

27) प्रभु ने उन में एक ऐसे महान् भक्त को उत्पन्न किया, जो सभी मनुष्यों के कृपापात्र बने,



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